-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ- "जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है। तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" तजुर्बे ने एक बात सिखाई है- एक नया दर्द ही... पुराने दर्द की दवाई है...!! हंसने की इच्छा ना हो तो भी हसना पड़ता है- कोई जब पूछे कैसे हो...?? तो मजे में हूँ कहना पड़ता है!! ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों.... यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है. "माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती.यहाँ आदमी आदमी से जलता है!!" मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि- पत्थरों को मनाने में, "फूलों का क़त्ल कर आए हम"। गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने "वहाँ एक और गुनाह कर आए हम" जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूं कि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!! एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली.. वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!! सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!! सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब.... बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता | जीवन की भाग-दौड़ में - क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है? हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है!! एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है! कितने दूर निकल गए, रिश्तो को निभाते निभाते.. खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते!! लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है, और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते!! "खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ, लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ" चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ... पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों... युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है'!! "दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं" एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'.. " पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।" "किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर" "'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर"��

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