हिंदी शायरी

===> लम्हों की खुली किताब हैं ज़िन्दगी <=== लम्हों की खुली किताब हैं ज़िन्दगी …. ख्यालों और सांसों का हिसाब हैं ज़िन्दगी …. कुछ ज़रूरतें पूरी ,कुछ ख्वाहिशें अधूरी ….. इन्ही सवालों के जवाब हैं ज़िन्दगी ===> जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें <=== जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें ===> काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ . <=== काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ … साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ ===> गम ने हसने न दिया <=== गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया! इस उलझन ने चैन से जीने न दिया! थक के जब सितारों से पनाह ली! नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया! ===> जन्नत मैं सब कुछ हैं <=== जन्नत मैं सब कुछ हैं मगर मौत नहीं हैं .. धार्मिक किताबों मैं सब कुछ हैं मगर झूट नहीं हैं दुनिया मैं सब कुछ हैं लेकिन सुकून नहीं हैं इंसान मैं सब कुछ हैं मगर सब्र नहीं हैं ===> आज तेरी याद हम सीने <=== आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये ===> एक अजीब सा मंजर नज़र आता हैं <=== एक अजीब सा मंजर नज़र आता हैं … हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना .. हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं ===> करीब इतना रहो कि <=== करीब इतना रहो कि रिश्तों मैं प्यार रहें … दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे .. रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी कि टूट जाएँ उम्मीदें मगर रिश्तें बरक़रार रहें … ===> चंद रुपयों मैं बिकता हैं <=== चंद रुपयों मैं बिकता हैं यहाँ “इंसान का ज़मीर” कौन कहता हैं मेरे देश मैं महंगाई बहुत हैं ===> मैंने अपनी हर एक <=== मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी हैं .. लोगो मैं ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी हैं .. अब ये आइना भी क्या काम का मेरे … मैंने तौ अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी हैं ….

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Nice Line

जो पल में मेरे बीत ..