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एक आदमी जंगल से गुजर रहा था । उसे चार स्त्रियां मिली।
उसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा "बुद्धि "
तुम कहां रहती हो?
मनुष्य के दिमाग में।
दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहां रहती हो ?
आंख में ।
तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"हिम्मत"
कहां रहती हो ?
दिल में ।
चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"तंदुरूस्ती"
कहां रहती हो ?
पेट में।
वह आदमी अब थोडा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहां रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं,
तुम कैसे रहते हो?
जब मैं वहां रहता हुं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं।
दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहां -" लोभ"।
कहां रहते हो?
आंख में।
आंख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
जब मैं आता हूं तो लज्जा वहां से प्रस्थान कर जाती हैं ।
तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहां रहते हो?
दिल में।
दिल में तो हिम्मत रहती हैं तुम कैसे रहते हो?
जब मैं आता हूं तो हिम्मत वहां से नौ दो ग्यारह हो जाती हैं।
चौथे से पूछा तुम्हारा नाम क्या हैं?
उसने कहा - "रोग"।
कहां रहतें हो?
पेट में।
पेट में तो तंदरूस्ती रहती हैं?
जब मैं आता हूं तो तंदरूस्ती वहां से रवाना हो जाती हैं।
जीवन की हर विपरीत परिस्थिथि में यदि हम उपरोक्त वर्णित बातो को याद रखे तो कई चीजे टाली जा सकती है ।
जरा मुस्कुरा के देख,
दुनिया हसती नजर आएगी!
सुबह सैर कर के तो देख,
तेरी सेहत ठीक हो जाएगी!
व्यसन छोड के तो देख,
तेरी इज्जत बन जाएगी!
खर्च घटा कर के तो देख,
तुझे अच्छी नीँद आएगी!
मेहनत कर के तो देख,
पैसे की तंगी चली जाएगी!
संसार की अच्छाई तो देख,
तेरी बुराई भाग जाएगी!
ईश्वर का ध्यान कर के तो देख,
तेरी उलझने दुर हो जाएगी!
माता पिता की बात मान कर तो
देख,तेरी जिन्दगी संवर जाएगी!
achaa lage to shear jarur kare.
Nice Line
क्या खूब लिखा है किसी ने बक्श देता है खुदा उनको जिनकी किस्मत खराब होती है वो हरगिज नहीं बक्शे जाते जिनकी नियत खराब होती है ना मेरा एक होगा ना तेरा लाख होगा ना तारीफ तेरी होगी ना मजाक मेरा होगा गरूर ना कर शाहे शरीर का मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा ज़िंदगी भर ब्रांडेड ब्रांडेड करने वालो याद रखना कफ़न का कोई ब्रांड नहीं होता कोई रो कर दिल बहलाता है कोई हसकर दर्द छुपता है क्या करामात है कुदरत का ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है और मुरदा तैर कर दिखता है मोत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत ख़ूबसूरत होगी कम्भखत जो भी उससे मिलता है जीना छोड़ देता है गजब की एकता देखी लोगो की ज़माने में जिन्दो को गिराने में और मुरदु को उठाने में ज़िंदगी में ना जाने कौन सी बात आखरी होगी ना जाने कौन सी रात आखरी होगी मिलते जुलते बाते करते रहो यारो एक दूसरे से ना जाने कौन सी मुलाकात आखरी होगी
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