ये कङवी सच्चाईँ...
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नदी तालाब मेँ नहाने मेँ शर्म आती है, और
स्विमिँग पूल मेँ तैरने को फैशन कहते हो....
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गरीब को एक रुपया दान नहीँ कर सकते, और
वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते हो..
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माँ बाप को एक गिलास पानी भी नहीँ दे सकते, और
नेताओँ को देखते ही वेटर बन जाते हो....
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बड़ोँ के आगे सिर ढकने मेँ प्रॉबलम है, लेकिन
धूल से बचने के लिए 'ममी' बनने को भी तैयार हो..
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पंगत मेँ बैठकर खाना दकियानूसी लगता और
पार्टियोँ मेँ खाने के लिए लाइन
लगाना अच्छा लगता है...
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बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और
गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो..
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गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और
शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है...
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बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और
'गजनी' लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो....
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कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो,
और
शाहरुख के 'डॉन' लुक के दीवाने बने फिरते हो....
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किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक
नहीँ लगता, और
उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ
तो क्वालिटी नजर आने लगती है..
Nice Line
क्या खूब लिखा है किसी ने बक्श देता है खुदा उनको जिनकी किस्मत खराब होती है वो हरगिज नहीं बक्शे जाते जिनकी नियत खराब होती है ना मेरा एक होगा ना तेरा लाख होगा ना तारीफ तेरी होगी ना मजाक मेरा होगा गरूर ना कर शाहे शरीर का मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा ज़िंदगी भर ब्रांडेड ब्रांडेड करने वालो याद रखना कफ़न का कोई ब्रांड नहीं होता कोई रो कर दिल बहलाता है कोई हसकर दर्द छुपता है क्या करामात है कुदरत का ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है और मुरदा तैर कर दिखता है मोत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत ख़ूबसूरत होगी कम्भखत जो भी उससे मिलता है जीना छोड़ देता है गजब की एकता देखी लोगो की ज़माने में जिन्दो को गिराने में और मुरदु को उठाने में ज़िंदगी में ना जाने कौन सी बात आखरी होगी ना जाने कौन सी रात आखरी होगी मिलते जुलते बाते करते रहो यारो एक दूसरे से ना जाने कौन सी मुलाकात आखरी होगी
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